नमस्कार दोस्तों, आप सब बचपन से ही अपने विद्यालय के समय से हिंदी व्याकरण के विषय के बारे में पढ़ते होंगे। आज हम आपको हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण विषय के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे जिसे पढ़ कर आप इस विषय के माध्यम से बहुत से विषयों के बारे में सरलता से जानकारी ले सकेंगे। हिंदी व्याकरण में हमें कुछ भी सिखने के लिए शब्दों को समझना अतिअनिवर्य है, जिसकी सहायता से हम कुछ भी बड़े आसानी से सिख सकते हैं। बिना शब्दों के समझे हम व्याकरण के किसी भी अंग को नहीं समझ सकते हैं। शब्दों के बिना हम साहित्य को समझना तो दूर, उसे पढ़ भी नहीं सकते।
इस पोस्ट के माध्यम आपको शब्द के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करेंगे जिसमे आपको शब्दों के परिभाषा एवं उनके भिन्न प्रकार के भेदों के बारे में जानकारी मिलेगी। उसे समझने का प्रयास हम उदाहरणों के द्वारा करेंगे।
शब्द की परिभाषा
“दो या दो से अधिक वर्णमाला को जोड़कर शब्द का निर्माण किया जाता है जिसका कोई सार्थक अर्थ हो और उसका सही उच्चारण हो सके, उसे हम शब्द कहते हैं।”
हिंदी व्याकरण में वर्णमाला के बाद सबसे छोटी इकाई शब्द को ही कहते हैं। किसी भी भाषा में वाणी का उच्चारण करते समय हमें शब्दों का सहारा अवश्य लेना पड़ता है। हिंदी व्याकरण के प्रत्येक शब्द का निर्माण किसी न किसी अर्थ को दर्शाता है। शब्दों को हम स्थाई नहीं कर सकते वह समय-समय पर बदलते रहते हैं अर्थात वह परिवर्तनशील होते हैं।
जैसे,
- खुश, बात, पकड़, सबको, आज, कपड़ा, गाडी, आदि।
शब्दों के भेद
शब्दों के अर्थ ग्रहण के अनुसार शब्दों के दो भेद हैं,
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द
१. सार्थक शब्द –
सार्थक शब्द उन शब्दों को कहते हैं जिन शब्दों के अर्थ ग्रहण किए जा सकते हैं।
जैसे,
- फल, सब्ज़ी, आलू, मटर, खाना, दूध, दही, पानी, पता, आदि।
२. निरर्थक शब्द –
निरर्थक शब्द उन शब्दों को कहते हैं जिन शब्दों के अर्थ को ग्रहण नहीं किए जाते हैं। निरर्थक शब्दों का प्रयोग सार्थक शब्दों के साथ ही किया जाता है।
जैसे,
- आमने, ताछ, वाही, वाय, अता, वली, आदि।
शब्दों को उनके वर्गीकरण के आधार पर चार भागों में विभाजित गया हैं। जिसकी जानकारी आपको निचे विस्तार से मिल जाएगी।
क] प्रयोगों के आधार पर शब्दों के भेद
ख] रचना/व्युत्पत्ति के आधार पर शब्दों के भेद
ग] उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के भेद
घ] अर्थ के आधार पर शब्दों के भेद
च] व्याकरणिक आधार पर शब्दों के भेद
क] प्रयोगों के आधार पर –
शब्दों का उपयोग सामाजिक परिस्थिति और भौगोलिक स्थिति के अनुसार भी किया जाता हैं। जिसमे शब्दों के प्रयोग स्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। इन्ही प्रयोगों के आधार पर शब्दों को तीन मुख्य भागों में विभाजित किया गया है।
- तकनीकी शब्दावली
- अर्ध-तकनीकी शब्दावली
- सामान्य शब्दावली
१. तकनीकी शब्दावली –
तकनीकी शब्दावली मैं ऐसे शब्द आते हैं जिन शब्दों का प्रयोग शिक्षा जगत में, ज्ञान-विज्ञान, व्यवसाय, कला, आदि के क्षेत्रों में किया जाता है। इन शब्दों का प्रयोग करने से हमें किसी भी मनुष्य की पढ़ाई-लिखाई अथवा उसकी ज्ञान की जानकारी प्राप्त होती है।
जैसे,
- बाजार, बिज़नेस, इंस्टिट्यूट, कंप्यूटर, इंटरनेट, चुनाव, कानून, नाटक, दूकान, आदि।
२. अर्ध-तकनीकी शब्दावली –
ऐसे शब्द जो तकनीकी शब्दावली से होते हुए भी साधारण मनुष्य के जीवन में प्रचलित होने के कारण सामान्य अवसरों में उनके द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। ऐसे शब्द अर्ध-तकनीकी शब्दावली में आते हैं।
जैसे,
- चुनाव, बाजार, कानून, दुकान, नाटक, इंस्टीट्यूट, आदि।
३. सामान्य शब्दावली –
सामान्य शब्दावली में ऐसे शब्द आते है जिसमे इन शब्दों का उपयोग सामान्य बोलचाल में प्रयोग होने वाले भाषा में होता हैं और वो किसी एक समूह के लिए भी प्रयोग होता हैं।
जैसे,
- खानपान, मानवता, अंधकार, आवश्यकता, शारीरिक, अभिमान, समस्या, आदि।
ख] रचना/व्युत्पत्ति के आधार पर –
रचना के आधार पर शब्दों को तीन वर्गों में बांटा गया है। जिसकी जानकारी विस्तार से नीचे दी गई है।
- यौगिक शब्द
- रूढ़ शब्द
- योगरूढ़ शब्द
१. यौगिक शब्द –
योगिक शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता हैं जिनके अर्थ का बोध अवव्ययों के प्रकृति से किया जाता हैं। ये शब्द दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों से मिलकर बने होते हैं। इन शब्दों को अलग करने से इनके अर्थ भी अलग अलग होते हैं।
जैसे,
- राजपुरुष, योगकमल, अश्वमेघ, रथयात्रा, महापुरुष, महाभारत, आदि।
२. रूढ़ शब्द –
रूढ़ शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता हैं जो किसी अन्य शब्दों के मेल से नहीं बने होते हैं। ये शब्द खुद से ही एक अलग अर्थ का निर्माण करते हैं।
जैसे,
- घर, संसार, शेर, घोडा, यज्ञ, दिन, श्याम, नहर, आदि।
३. योगरूढ़ शब्द –
योगरूढ़ शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता हैं जिनका बोध किसी समूह या अव्ययों के प्रकृति से होता हैं। ये शब्द योगिक तो होते हैं लेकिन उन्हें विभाजित करने पर उनके अर्थ स्पष्ट कर पाते हैं।
जैसे,
- पंकज, नयन, माधुर, संगम, आदि। =
ग] उत्पत्ति के आधार पर –
शब्दों को उनके उत्पत्ति के आधार पर चार वर्गों में बांटा गया है। जिसके विस्तार पूर्वक जानकारी आपको नीचे प्राप्त होगी।
- तत्सम शब्द
- तद्भव शब्द
- देसी/देशज शब्द
- विदेशी/विदेशज शब्द
१. तत्सम शब्द –
तत्सम शब्द का अर्थ हैं, ‘उसके समान’। तत्सम शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता है जिन शब्दों को संस्कृत भाषा से लिए गए हो और उनका उपयोग हिंदी व्याकरण में बिना किसी परिवर्तन के किया जाता है या किसी अन्य भाषा में इसका उपयोग किया जाता है।
जैसे,
- वायु, दृढ़, प्रति, निश्चय, प्रातः, उत्सर्ग, अश्व, सूर्य, अग्नि, दुर्गंध, धृत, आदि।
२. तद्भव शब्द –
तद्भव शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता है जो शब्द समय के साथ परिवर्तित होते हैं। इसी परिवर्तन के कारण इन शब्दों को संस्कृत भाषा से हिंदी भाषा में स्तापित किये जाते हैं।
जैसे,
- हवा, मनुष्य, सूरज, सभी, गंदगी, घोडा, आग, गिलोय, दूध, रात, आदि।
३. देसी/देश –
देसी शब्द हिंदी भाषा में ऐसे शब्दों को कहा जाता हैं जिनको छेत्रीय प्रभाव के कारण उन्हें उनके जरुरत के अनुसार लोकप्रिय कर दिया गया।
जैसे,
- वाहन, खटखटाना, साइकिल, जूता, छाता, बाजरा, पेट, तांगा, आदि।
४. विदेशी/विदेशज शब्द –
विदेशी शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता हैं जिन शब्दों को विदेशी सामग्रियों के साथ रहने से लोकप्रियता मिली हैं। ये ऐसे शब्द हैं जिन्हे विदेशी भाषाओँ से ग्रहण किये गए हैं।
जैसे,
- स्कूल, मूवी, पेंसिल, पेन, बुक, टीवी, मशीन, बोतल, इन्स्टालमेन्ट, इन्वेस्टमेंट, थिएटर, आदि।
उदाहरण:
- अरबी शब्द –
यमन, यहूदी, इशारा, शहीद, तहसील, अदालत, अल्फाज, इस्तीफा, इम्तिहान, आदि।
- फ़ारसी शब्द –
अमरूद, जलेबी, तराजू, जानवर, कारोबार, खुशामद, गवाह, आदि।
- अंग्रेजी शब्द –
कोट, स्कूल, जज, पुलिस, ऑफिस, फाइल, लंच, रेल, टेक्स्ट, डॉक्टर, फीस, आदि।
- तुर्किश शब्द –
काबू, कैंची, तोप, बंदूक, भड़ास, खच्चर, बेगम, लाश, सौगात, बीवी, आदी।
- पुर्तगाली शब्द –
इस्पात, चाबी, पपीता, नीलगाय, संतरा, काजू, साबुन, कप्तान, आलू, गोभी, आदि।
- जापानी शब्द –
रिक्शा, मेहनत, कमर, हड्डी, झगड़ा, आदि।
- चीनी शब्द –
चाय, लीची, चीनी, नूडल्स, चाऊमीन, आदि।
- फ्रेंच के शब्द –
लैंप, ऑल-पिन, सूट, कार्टूंस सर्च, पिकनिक, आदि।
घ] अर्थ के आधार पर –
अर्थ के आधार पर शब्दों को चार वर्गों में बांटा गया है। जिसकी विस्तार से जानकारी नीचे दी गई है।
- एकार्थी शब्द
- अनेकार्थी शब्द
- पर्यायवाची शब्द
- विलोम शब्द
१. एकार्थी शब्द –
एकार्थी शब्द ऐसे शब्दों को कहते हैं जिनका एक ही अर्थ होता है जिसे हम ग्रहण कर सकते हैं।
जैसे,
- राह, नाभि, मेहनत, अधिकार, सड़क, आदमी, कौवा, आदि।
२. अनेकार्थी शब्द –
अनेकार्थी शब्द वो हैं जिन शब्दों के एक से ज्यादा अर्थ निकलते हैं। वे सभी अर्थ अलग-अलग होते हैं।
जैसे,
- सिक्का (मुहर), भाग (विभाजन), मुद्रा (पैसा), आदि।
३. पर्यायवाची शब्द
पर्यायवाची शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता जिन शब्दों के अनेक अर्थ होते हैं। पर्यायवाची शब्द को हम समानार्थी शब्द भी कहते हैं।
जैसे,
- आँख – नैना, नेत्र, चक्षु।
- उपदेश – दीक्षा, नसीहत, सीख, शिक्षा, निर्देशन।
- कुत्ता – सारमेय, शुनक, गंडक, श्वान, कुक्कुर; आदि।
४. विलोम शब्द –
विलोम शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता हैं जिन शब्दों के अर्थ एक दूसरे से विपरीत होते हैं। विलोम शब्द को हम विरुद्धार्थी शब्द भी कहते हैं।
जैसे,
- आज – कल; दिन – रात; सुबह – श्याम; सही – गलत; सुख – दुःख, आदि।
च] व्याकरणिक आधार पर –
प्रत्येक भाषा का खुद का एक व्याकरण भाग होता है। व्याकरण के बिना भाषाएँ अधूरे होते हैं, और व्याकरण के ज्ञान से ही उसके शब्द और वाक्यों का अध्ययन किया जाता है। व्याकरणिक आधार पर हमने शब्दों को दो भागों में विभाजित किए हैं,
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
१. विकारी शब्द –
विकारी शब्द ऐसे शब्दों को कहते हैं जिनके रूप में लिंग, कारक, पुरुष, वचन, काल, इनके द्वारा परिवर्तन आता हैं।
विकारी शब्द के 4 भेद हैं,
- संज्ञा
- सर्वनाम
- क्रिया
- विशेषण
२. अविकारी शब्द –
अविकारी शब्द ऐसे शब्दों को कहते हैं जिनका परिवर्तन संभव नहीं है। इन शब्दों के रूप में लिंग, कारक, पुरुष, वचन, काल से कोई बदलाव नहीं होता।
अविकारी शब्द के चार भेद हैं,
- क्रिया विशेषण
- समुच्चय बोधक अव्यय
- संबंध बोधक अव्यय
- विस्मयादि बोधक अव्यय