सभी दिशाओं का नाम हिंदी और अंग्रेजी में | Directions Name in Hindi and English

हेलो दोस्तों, आज हम इस लेख के माध्यम से सीखेंगे की दुनिया में कितने दिशाएँ होते हैं? और साथ ही उन दिशाओं के नाम भी जानेंगे की दिशाओं को अंग्रेजी और हिंदी में क्या कहते हैं। 

दिशा

सामान्य तौर पर हम सभी जानते है की मुख्य दिशाएँ केवल चार ही हैं किन्तु इस पोस्ट में हम आपके लिए और भी रोचक जानकारी लेकर आये हैं जिसके माध्यम से आप दिशाओं के बारे में विस्तार से जान पाएंगे जो आपके ज्ञान को बढ़ने में आपकी सहायता करेगी। अतः आपसे आग्रह हैं की इस पोस्ट को ध्यान से पढ़े और दिशाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

पुराने समय में लोग दिशाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्राचीन तकनीक का इस्तेमाल किया करते थे। धीरे-धीरे तकनीकों के आने से लोगों को दिशाओं का पता लगाने में आसानी होने लगी। चुम्बकीय कंपास जैसे दिशा सूचक यन्त्र के सहायता से चुटकियों में दिशा का सटीक अनुमान लगा लिया जाता है। जिसके कारण आज कल यातायात बहुत आसान हो चूका हैं।

हम सब जानते हैं की विज्ञान और ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार दुनिया में कुल दस दिशाएँ हैं। जिनमे से हमने यहाँ मुख्य और अन्य दिशाओं अलग अलग समझने का प्रयत्न कर रहे हैं जिसे आपको समझने में आसानी होगी। 

निचे दिए गए टेबल में चार मुख्य दिशाओं के नाम हैं। 

8 दिशाओं के नाम हिंदी और इंग्लिश में

दिशा के नाम हिंदी मेंDirections name in Englishउच्चारण
उत्तर दिशाNorthनार्थ
दक्षिण दिशाSouthसाउथ
पश्चिम दिशाWestवेस्ट
पूर्व दिशाEastईस्ट
उत्तर-पश्चिम दिशाNorth-Westनार्थ-वेस्ट
दक्षिण-पश्चिम दिशाSouth-Westसाउथ-ईस्ट
उत्तर-पूर्व दिशाNorth-Eastनार्थ-ईस्ट
दक्षिण-पूर्व दिशाSouth-Eastसाउथ-ईस्ट

10 दिशाओं के नाम 

4 दिशाओं के नाम 

अनु. क्रमांक दिशाओं के नाम (अंग्रेजी में) दिशाओं के नाम (हिंदी में) 
१. East (Eastern, ईस्ट)पूरब (पूर्व, प्राची)
२.West (Western, वेस्ट)पश्चिम (प्रतीची)
३. North (Northern, नॉर्थ)उत्तर (उदीची)
४. South (Southern, सॉउथ)दक्षिण (अवाची)

निचे दिए गए टेबल में मुख्य दिशाओं के अलावा अन्य बाकी दिशाओं के बारे में बताया गया है। 

अनु. क्रमांक दिशाओं के नाम (अंग्रेजी में) दिशाओं के नाम (हिंदी में) 
१. North-East (नार्थ-ईस्ट)उत्तरी-पूर्व (ईशान्य)
२.North-West (नार्थ-वेस्ट)उत्तरी-पश्चिम (वायव्य)
३. South-East (साउथ-ईस्ट)दक्षिणी-पूर्व (आग्नेय)
४. South-West (साउथ-वेस्ट)दक्षिणी-पश्चिम (नैऋत्य)
५. Zenith (Sky, स्काई, ज़ेनिथ)ऊर्ध्व (आकाश)
६. Nadir (Hell, हेल, नादिर)अधो (पाताल)

दिशा ज्ञान

हमें स्कूल और कॉलेज में बताया जाता है की दिशा के मुख्य चार रूप होते हैं। उन्हें याद रखने के लिए उनके कुछ निशानियाँ भी बताई जाती हैं जैसे की सूर्य हमेशा पूरब दिशा से निकलते हैं और पश्चिम दिशा में अस्त होते हैं। घर का निर्माण करते समय भी हमें विशेषज्ञों और ज्योतिषों के द्वारा भी दिशा को ध्यान में रखने को कहा जाता हैं। इन दिशाओं से भी हमारे जीवन में बहुत असर होता हैं। मुख्य चार दिशाओं के नाम हैं पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण।

1. पूर्व (पूरब, East)

सूर्य देवता हमेशा पूर्व दिशा से ही उदय होते हैं। इस दिशा को हम हिंदी में पूरब और प्राची भी कहते हैं तथा अंग्रेजी में हम इसे East direction (ईस्ट) कहते हैं। पूर्व दिशा के दिग्पाल भगवान् इंद्रा जी को कहते हैं। पूर्व दिशा में घर का प्रवेश द्वार होना हिंदू धर्म में एक अच्छा संकेत माना जाता है। 

2. पश्चिम (प्रतीची, West)

सूर्य देवता पूर्व से निकल कर शाम को पश्चिम दिशा में अस्त होते हैं। इस दिशा को हम प्रतीची भी कहते हैं और अंग्रेजी में हम West कहते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार भगवन वरुण देव को पश्चिम दिशा का दिग्पाल माना जाता हैं। 

3. उत्तर (उदीची, North)

पृथ्वी की उत्तर दिशा पर उत्तरी ध्रुव स्थित है जिसे हम अंग्रेजी में नार्थ पोल (North Pole) कहते हैं। उत्तर दिशा को North direction और उदीची भी कहते हैं। इस दिशा के दिग्पाल भगवान् कुबेर जी को कहते हैं। उत्तर दिशा में लोग अपने घर के वास्तू के अनुसार दरवाजे और खिड़कियाँ रखते हैं। 

4. दक्षिण (अवाची, South)

पृथ्वी के दक्षिण दिशा पर दक्षिणी ध्रुव स्थित है जिसे हम अंग्रेजी में साउथ पोल (South Pole) भी कहते हैं। दक्षिण दिशा को हम अंग्रेजी में South direction और अवाची भी कहते हैं। इस दिशा के दिगपाल को हिंदू धर्म एवं ज्योतिष शास्त्रों में यम देव का माना जाता है। इस दिशा में लोग अपने घर पर धन को रखना शुभ मानते हैं। कहते हैं कि इस दिशा में धन रखने से धन की प्राप्ति और वृद्धि होती है। 

अन्य छह दिशाओं के नाम और उनकी जानकारी

हिन्दू धर्म के अनुसार और ज्योतिष शास्त्रों के अध्ययन के मुताबिक दिशाएँ कुल १० हैं जिनमे से चार दिशाएँ मुख्य हैं और बाकी के छह दिशाएँ इन मुख्य दिशाओं के सहयोग से बना हैं। दो और दिशाएँ भी शामिल किये गए हैं जिनको हम आकाश और पाताल कहते हैं। हिन्दू धर्म में इन सभी दिशाओं के दिग्पाल एक एक भगवान् को सौपी गयी हैं जिनका काम हैं इन दिशाओं की रक्षा करना। 

1. उत्तरी-पूर्व (ईशान्य, North-East)

उत्तरी पूर्व दिशा को अंग्रेजी में North eastern direction भी कहते हैं। इसे ईशान्य दिशा भी कहा जाता है। यह दिशा उत्तर और पूर्व दिशा के कोने से मिलकर बनता है। यह दोनों दिशाओं के बीच में ४५ डिग्री से होकर निकलता हैं। ईशान दिशा के दिगपाल भगवान शिव जी को माना जाता है और इस दिशा में मंदिर का होना अत्यंत शुभ  होता है। 

2. उत्तरी-पश्चिम (वायव्य, North-West)

उत्तरी पश्चिम दिशा को अंग्रेजी में North western direction भी कहते हैं। इसे वायव्य दिशा भी कहा जाता है। यह दिशा उत्तर और पश्चिम दिशा के कोने से मिलकर बनता है। जिसमें यह दोनों दिशाओं के बीच में ४५ डिग्री से होकर निकलता है। वायव्य दिशा के दिग्पाल पवन देव जी को माना जाता हैं। 

3. दक्षिणी-पूर्व (आग्नेय, South-East)

दक्षिणी पूर्व दिशा को अंग्रेजी में South eastern direction भी कहते हैं। इस दिशा को ‘आग्नेय कोण’ दिशा  के नाम से भी जाना जाता है। यह दिशा दक्षिण और पूर्व दिशाओं के कोने से मिलकर बनता है। जिसमें यह  दोनों दिशाओं के बीच से ४५ डिग्री पर निकलता है। ‘आग्नेय कोण’ कहलाने वाली यह दिशा अग्नि को दर्शाती है जिसके दिगपाल स्वयं अग्निदेव है। 

4. दक्षिणी-पश्चिम (नैऋत्य, South-West)

दक्षिणी पश्चिम दिशा को अंग्रेजी में South western direction भी कहते हैं। इस दिशा को नैऋत्य दिशा  के नाम से भी जाना जाता है। यह दिशा दक्षिण और पश्चिम दिशाओं के कोने से मिलकर बनता है। जिसमें यह दोनों दिशाओं के बीच से ४५ डिग्री पर निकलता है। नैऋत देव इस दिशा के दिग्पाल हैं। 

5. ऊर्ध्व (आकाश, Zenith)

ऊर्ध्व दिशा को भी दिशाओं के सूची में जोड़ा गया है। इसे अंग्रेजी में Zenith और हिंदी में आकाश (sky) भी कहा जाता है। स्वयं ब्रह्म देव इस दिशा के दिगपाल है। 

6. अधो (पाताल, Nadir)

पाताल के नाम से प्रचिलित दिशा को अधो दिशा कहते हैं। इसे अंग्रेजी में Nadir भी कहते हैं। हिंदी शास्त्र के अनुसार पाताल दिशा के दिग्पाल शेषनाग जी हैं। 

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