26 जनवरी पर निबंध हिंदी में | Republic Day Essay in Hindi

अनुक्रम

गणतंत्र दिवस पर निबंध

Republic Day Essay in Hindi

गणतंत्र दिवस भारत देश के लिए एक ऐसा दिन है जिस दिन हमारा देश पूर्ण रुप से अंग्रेज़ों के गुलामी से स्वतंत्र हुआ था और इस दिन हमारे देश का संविधान भी लागू हुआ था। गणतंत्र दिवस के दिन हमारा देश अंग्रेजों के बनाए नियमों और कानूनों को बंद कर भारतीय लोकतंत्र के कानून को अर्थात भारत के संविधान को लागू किया गया। जिससे प्रत्येक भारतवासी को स्वतंत्रता से जीने का आधार मिला। गणतंत्र दिवस प्रत्येक वर्ष २६ जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है। कार्यालयों, विद्यालयों और अन्य क्षेत्र के दफ्तरों की छुट्टी होती है। स्कूल और कॉलेजों में २६ जनवरी के दिन को गणतंत्र दिवस के खास अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस दिन बच्चों को खेलकूद, पढ़ाई-लिखाई और अन्य गुणों के लिए उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। 

भारत देश में अधिकारित तौर पर २६ जनवरी के दिन भारतीय संविधान को लागू कर के अंग्रेज़ों के अधिकारों और नियमों का सफाया किया  था। इस दिन देश का स्वतंत्र लोकतंत्र वाला कानून लागू कर सभी देशवासिओं को उनका मूल अधिकार दिया गया। साथ ही भारत सरकार ने सन १९३५ के पुराने कानून की जगह आज़ादी के ३ साल बाद २६ जनवरी १९५० को हमें पूर्णतः स्वतंत्रता मिली और हम विश्व के इतिहास में सबसे बड़े समाजवादी और लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गए। 

अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद हमारे देश में नए सरकार की गठन की गई। किंतु उचित संविधान और राजकारनिया नियम ना होने के कारण राष्ट्र को चलाने में समस्याएँ आने लगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक विशेषज्ञों ने संविधानिक समिति की सहायता से डॉ. भीमराव बाबासाहेब आंबेडकर जी ने मात्र १६६ दिनों में भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार किया और इसे बनाने में २ वर्ष, ८ महीने और १६ दिनों का समय लगा। भारतीय संविधान को २६ जनवरी १९५० के दिन अधिकारिक रूप से इसे भारत का नया संविधान घोषित कर दिया गया। इस संविधान में खासकर सामान्य नागरिकों को मिलने वाली समस्त आधिकारिक योजनाओं को नियमानुसार उन्हें प्रदान करने की बात रखी थी। जिसका मुख्य एजेंडा समाज में लिंग, जाति, धर्म, भाषा, रंग एवं संस्कृति के बीच संतुलन बनाना था जिससे समाज में शांति बना रहे। 

भारत की प्रथम राजकीय संसद की गठन भी २६ जनवरी १९५० के दिन ही की गई थी। जिसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद जी गणराज्य भारत के प्रथम राष्ट्रपति के पद के लिए नियुक्त किए गए थे।  भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में २६ जनवरी १९५० का बहुत महत्व है। इस दिन को सब बड़े जोश और उल्लास से मनाते हैं। गणतंत्रता दिवस के दिन प्रत्येक भारतीय चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, वेशभूषा या रंगों का हो, सब एकत्रित हों इस दिन को एकता के रूप में मनाते हैं, जो समाज में भारतीय एकता की ताकत को दर्शाता है। भारत की राजधानी दिल्ली में प्रत्येक वर्ष २६ जनवरी के दिन भारतीय सेनाओं द्वारा तरह-तरह के करतब और आतिशबाजियाँ दिखाए जाते हैं। इस दिन प्रधान मंत्री द्वारा लाल किले में ध्वजारोहण के कार्यक्रम को राष्ट्रगान गाकर पूरे सत्कार के साथ अंजाम दिया जाता है। प्रधानमंत्री लाल किले से स्वयं संपूर्ण राष्ट्र को अपनी भाषण से संबोधित करते हैं और देश की गणराज्य की अहम भूमिका निभाने वाले हमारे देश के सुरक्षा बलों के बारे में सभी को अवगत कराते हैं। प्रत्येक वर्ष वहाँ देश भर की संस्कृति को दर्शाने वाले परेड होते हैं। जिसमें सभी राज्य अपने संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं और भारतीय सेना अपने सैन्य दलों के साथ मिलकर करतब दिखाते हैं। इस दिन राष्ट्रीय ध्वज को २१ तोपों की सलामी दी जाती है। स्कूल और कॉलेजों में गणतंत्र दिवस के समारोह मनाया जाते हैं। देशभक्ति के गीत संस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और बच्चों को मिठाईयां और पुरस्कार दिए जाते है। 

गणतंत्र दिवस के इस पावन अवसर पर मैं एक वाक्य कहना चाहूँगा, जो हमारे देश की एकता को दर्शाता है और हमारे देश की शान को समस्त जग में प्रसिद्ध करता है- 

“सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दुस्तान हमारा! 

हम बुल-बुले हैं इसकी, ये गुलिस्तां हमारा!!”