मित्रो आज के इस लेख में हम सीखेंगे दिवाली पर निबंध कैसे लिखते हैं। यहाँ पर हमने Essay on Diwali in Hindi के ऊपर निबंध आपके लिए बनाई है। जिसकी सहायता से आप दीपावली पर निबंध आसानी से सिख सकते है।
दीपावली पर निबंध
दिवाली भारत वर्ष के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। यह हिन्दू धर्म का पावन और प्रसिद्ध त्योहार हैं जिसे हम बुराई पर सच्चाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। दिवाली का यह पावन त्यौहार न केवल भारत देश में बल्कि देश के बाहर विदेशों में भी हर साल इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कई जगहों पर, खासतौर से व्यापारियों के लिए यह त्यौहार नए वर्ष के शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। यह हिंदू एवं सभी भारतीयों के लिए सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक माना जाता है। दिवाली को दीपों का त्यौहार अर्थात ‘दीपावली’ भी कहते हैं।
दिवाली के दिन भगवान श्री राम, लक्ष्मण और देवी सीता 14 साल के वनवास को पूर्ण कर अयोध्या वापस आए थे। उन्हीं के आने की खुशी में अयोध्या वासियों तथा वहाँ के प्रजा ने इस दिन को दीपों से पुरे अयोध्या नगरी को सजा कर उनका स्वागत किये थे। दीपों की रौशनी में अमावस की काली रात के अंधकार की हार हो गयी और इसीलिए इस दिन को दीपावली भी कहा जाने लगा। इस त्योहार का एक और महत्त्व भी हैं। केवल भगवान श्री राम जी के वनवास काटकर अयोध्या लौटने पर यह खुशी नहीं थी, बल्कि वनवास काल के दौरान उन्होंने समस्त धरती को राक्षस मुक्त करने का प्रण लेकर वनवास गए थे और उन्होंने सभी मनुष्य जाति को राक्षसों के कुकर्मो से मुक्त कराया और साथ ही देवी सीता का हरण करने वाले तीनों लोगों के राजा कहे जाने वाले पराक्रमी राक्षस राज रावण का वध किये थे और उनके पुरे उनके पुरे कुल का अंत किये थे। यह त्योहार भगवान श्री राम जी के रावण का वध करने के और वनवास पूरा कर घर लौटने की ख़ुशी में मनाया जाता है।
इस त्योहार को विजयादशमी के बाद २१वे दिन पर मनाया जाता है। क्योंकि रावण का वध करने के बाद वे अपनी भाई लक्ष्मण, पत्नी सीता, परम भक्त हनुमान और समस्त वानर सेना के साथ २१ दिन के अंतराल बाद अयोध्या पहुंचे थे। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के तिथि अनुसार कार्तिक मॉस के १५वे दिन पूर्ण अमावस की रात में दीपों की रौशनी में मनाया जाता है। जिसे हम सामान्य कैलेंडर के माध्यम से अक्टूबर एवं नवंबर माह में मनाते है।
यह दिन समस्त मानव जाती और अयोध्या वशं के लिए अत्यंत खुशिओं का त्योहार था। इसलिए इस खुशियों का त्योहार भी कहते है। दिवाली के इस त्योहार को मानाने के लिए सब लोग एक महीने पहले ही तैयारियाँ शुरू कर देते हैं। लोग अपने घरों साफ़-सफाई करते है, अपने घरों को रंग के नया और स्वच्छ बनाते है और पुराने बेकाम के वस्तुओं को घर से बहार कर देते है। इस दिन घर के बड़े-बुज़ुर्ग एवं बच्चे और सभी सदस्य नए कपडे पहनते हैं और देवी लक्ष्मी और भगवान् गणेश जी की आरती करते है। संध्या के समय सब अपने घरों के सामने दीप जला के रखते है। कन्याएं और महिलाएं प्रवेश द्वार के सामने अच्छे अच्छे रंगों से रंगोली सजाते हैं। युवा एवं बच्चे इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाते है क्योंकि यह त्योहार सभी के लिए खुशियां लेकर आता हैं। बच्चे और बड़े इस दिन ढेर सारे फटाके जलाकर इस दिन का आनंद लेते हैं। पूजा के बाद सब एक दूसरे को प्रसाद और मिठाइयां बाँट के ख़ुशी व्यक्त करते हैं। कुछ लोग दिवाली के मौके पर शराब, मदिरापान और फटाकों को गलत तरीके से जला कर इस दिन को खराब करने की कोशिश करते हैं। अगर इन सब को सही ढंग से समझा दिया जाये तो सच में ये दिपावली का त्योहार शुभ दीपावली का त्योहार ही हो जायगा।
दिवाली का त्योहार पांच दिनों का होता है। जिसमे पहला दिन धनतेरस होता है, इस दिन सब किसी न किसी धातु का सामान जैसे सोना, चांदी और अन्य वास्तु खरीदते हैं और उनकी पूजा करते हैं। दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। इस दिन को लोग छोटी दिवाली भी कहते हैं। तीसरे दिन दीपावली का त्योहार होता है। इस दिन हम देवी लक्ष्मी और भगवान् गणेश जी की आरती करते है। चौथे दिन गोवर्धन पूजा मनाते हैं। इस दिन इंद्रा देव के क्रोध के कारण वर्षा से बचाने के लिए भगवन श्री कृष्ण जी ने अपनी छोटी ऊँगली से गोवर्धन पर्वत को उठा लिए थे और सभी को उस पर्वत के निचे शरण दिए थे। पांचवे दिन को सब भाईदूज का पर्व मनाते हैं। सच मे दिवाली का त्योहार एक अनोखा त्योहार हैं।
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