आज के इस पोस्ट में हम आपको Formal Letter के बारे में जानकारी देंगे और बताएंगे की इसे कैसे लिखा जाता है और कब किस काम आता है।
औपचारिक पत्र हिंदी में कैसे लिखें
पत्र लिखना आज के युग में आवश्यक क्यों है जब की हमारे पास कई तकनीकी साधन उपलब्ध है जिसके ज़रिये हम एक दूसरे को संदेश पहुंचा सकते है। यह सवाल आज के युग के लोगों को आता होगा की अब पत्र लेखन सिखने से क्या लाभ।
पत्रलेखन हम सबके लिए आज भी उतना ही जरुरी है जितना पहले होता था। पत्रलेखन के माध्यम से हम अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को बड़ी सरलता से कर सकते हैं। जैसे हमारे पास बहुत से तकनीकी साधन उपलब्ध है लेकिन अगर हमें सही तरीके से लिखना ही नहीं आता हो तो उसका कोई अर्थ नहीं होगा। इसलिए हमसभी को पत्र लेखन से अवगत होना चाहिए।
औपचारिक पत्र | Formal Letter
Formal Letter को हिंदी में ‘औपचारिक पत्र’ कहते हैं और इस पत्र को खासतौर से Official (कार्यालयी) कार्यों के लिए उपयोग करते हैं इसलिए इसे ‘Official Letter’ भी कहते हैं। औपचारिक पत्र हम उन लोगों को लिखते हैं जिन्हे हम निजी रूप से नहीं जानते हैं। इस पत्र की भाषा बिलकुल शिष्टपूर्ण और सहज होना चाहिए और यह पत्र केवल महत्वपूर्ण काम और किसी समस्या के बारे में बात कही जाती हैं।
Formal Letter को हम किस तरह पहचान सकते हैं इसके बारे में आपको इसके बारे में कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है जिससे आप को ऐसे पत्र को पहचानना बहुत ही सरल हो जायगा। साथ ही इसके अन्य प्रकार के बारे में भी आपको जानकारी होना चाहिए। इसके लिए हम औपचारिक पत्र का एक उदहारण लेते हैं जिससे हमें इस तरह के पत्रों को समझने में आसानी होगी।

औपचारिक पत्र का उदाहरण
एम.पी.एस. पब्लिक स्कूल में प्रवेश लेने हेतु विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन,
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
एम.पी.एस. पब्लिक स्कूल
मुंबई – 400201
दिनांक – 24 अगस्त, 2020
विषय – विद्यालय में प्रवेश पाने हेतु आवेदन पत्र।
आदरणीय महोदय,
सादर विनम्र।
आपसे सविनय निवेदन है कि मेरे पिताजी, जो कि जबलपुर में भारतीय रेलवे में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं, उनका स्थानांतरण मुंबई में हो गया है। अब मेरा परिवार भी मुंबई में निवास कर रहा है। इसीलिए मैं आपके विद्यालय ‘एम.पी.एस. पब्लिक स्कूल’ में कक्षा 10वी में प्रवेश लेना चाहता हुँ।
महोदय, आपसे अनुरोध है कि मुझे अपने विद्यालय में प्रवेश लेने की अनुमति आप मुझे प्रदान करने की कृपा करें।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
मनोज कुमार।
*******************
औपचारिक पत्र (Formal Letter) पत्र लिखने का तरीका (Format)
एक औपचारिक पत्र में निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं-
- भेजने वाले का पता (Sender’s Address)
- दिनांक (Date)
- प्राप्तकर्ता का पद और पता (Reciever’s Post & Address)
- विषय / पत्र लिखने का उद्देश्य (Subject / Purpose of writing the letter)
- अभिवादन (Salutation)
- पत्र का मुख्य भाग (Main Message Body)
- समापन वाक्य (Closing statement)
- प्रेषक का नाम, हस्ताक्षर और पदनाम (Sender’s name, Signature, and Designation)
चरण 1
भेजने वाले का पता (Sender’s Address) मतलब जो व्यक्ती पत्र लिख रहा है उसका पता।
जैसे –
शिवजी नगर,
वर्ली-बांद्रा sealink,
मुंबई – 400201
चरण 2
इसमें आपको पत्र लिखने की दिनांक (Date) लिखना होता है।
जैसे-
11 मार्च, 2020
चरण 3
दिनांक के निचे आपको प्राप्तकर्ता का पद और पता (Reciever’s Post & Address) मतलब जिस व्यक्ति को आप पत्र लिख रहे हैं उनका पता उनके पद के साथ लिखना है।
जैसे-
प्रधानाचार्य/अध्यापक (xyz विद्यालय), मैनेजर(xyz कंपनी), एस. पी. (मुंबई विभाग), इत्यादि।
चरण 4
विषय / पत्र लिखने का उद्देश्य हमें एकदम सटीक शब्दों में लिखना होता है जिसके वजह से हमारे पत्र को पढ़ने से पूर्व हमें पता चल जाये की पत्र किस लिए लिखा गया है।
जैसे-
विषय- छुट्टी के लिए प्रार्थना, कम बिजली की शिकायत, इत्यादि।
चरण 5
विषय के बाद हमें पत्र की शुरुवात करनी होती है जो अभिवादन से प्रारंभ होता है। इसे हमें लोगों के और उनके पदों के अनुसार लिखना होता है।
जैसे-
सामान्य लोगों के लिए Dear sir/Madam, तथा सन्मानजनक लोगों के लिए माननीय महोदय/महोदया (Respected Sir/Madam) लिखते हैं।
चरण 6
अभिवादनके बाद आता है पत्र का मुख्य भाग (Message body) जिसमे हमें पत्र का उद्देश्य विस्तार/संक्षेप में लिखना होता है जिससे की पत्र की लम्बाई ज्यादा न हो और सारी बातें उसमे आ जाये। इसमे हम कहानी की तरह अपनी बात नहीं लिख सकते है।
चरण 7
मुख्य भाग के बाद आता है पत्र का समापन करना जिसमे हम सामने वाले को धन्यवाद करते हैं और अपने पत्र को विराम देते हैं। सामान्य तौर पे इसका उपयोग नहीं होता, यह केवल स्कूल के परीक्षाओं के लिखने के लिए होता है।
चरण 8
पत्र के अंतिम चरण में हमें प्राप्तकर्ता को सराहना देते हुए अपना नाम लिख के पत्र को ख़त्म करना पड़ता है। जिसमे हमें आप पता, संपर्क और पद लिखना होता है।
जैसे-
आपका विश्वासु/आज्ञाकारी/प्रार्थी
मत्स्या प्रसाद
XXXXXXX467
सेक्रेटरी, लाइब्रेरी क्लब
हिंदी भाषा में औपचारिक पत्र लिखते समय हमें पत्र की शुरुवात कैसे करना चाहिए इसका विश्लेषण निचे दिया गया है-
- पत्र का आरंभ हमें ‘सेवा में’ लिख कर जिसे पत्र लिखा जा रहा है उनके पद का नाम और उनका पता लिख के करें।
- विषय में हमें पत्र का शीर्ष देना होता है जिससे हमें पत्र का उद्देश्य समझ आ जाये। इसे हमें एक ही वाक्य में लिखना चाहिए।
- पत्र प्राप्त करने वाले को संबोधन करना चाहिए जिन शब्दों से सम्मान और शिष्टाचार संकेत प्राप्त हो।
- विषय वस्तु में हमें दो अनुच्छेद में पूर्ण करना चाहिए।
पहला अनुच्छेद- इसे हमें ‘सविनय निवेदन हैं की’ ऐसे करके पत्र का मुख्य भाग आरंभ करना चाहिए।
दूसरा अनुच्छेद- ‘आपसे विनम्र निवेदन हैं की’ ऐसा कह के पत्र का अंत करे और सामने वाले से आपकी अपेक्षा को व्यक्त करें।
- अंत में सामने वाले का ‘धन्यवाद करें’ या ‘कष्ट के लिए क्षमा’ जैसे शब्द का प्रयोग करें और फिर हस्ताक्षर के साथ अपना नाम लिखें।
- प्रेषक यानि पत्र भेजने वाले का पूरा पता लिखे और दिनांक लिख के पत्र को समाप्त करें।
औपचारिक पत्र लिखते समय हमें कुछ और बातों का भी ध्यान रखना पड़ता है-
- औपचारिक पत्र लिखते समय हमें बहुत से नियमों का पालन करना चाहिए।
- औपचारिक पत्र लिखने में हमें सहज भाषा का प्रयोग करना होता है और इसमें हम अनावश्यक बातें नहीं लिख सकते।
- पत्र का हर पहलु बेहतरीन होना चाहिए चाहे वह आरंभ हो या अंत।
- पत्र में उपयोग होने वाला भाषा सरल और लेख स्पष्ट एवं आकर्षित होना चाहिए।
- पत्र अगर कक्षा या परीक्षा भवन से लिखा जा रहा है तो ध्यान रहे की हमें अपने नाम के जगह कक्षा या परीक्षा भवन और अपने नाम के जगह क० ख० ग० लिखना चाहिए।
- पत्र पृष्ठ के बाई ओर से मतलब Margin Line को मिलाकर लिखें।
- पत्र को एक ही पृष्ठ में लिख के समाप्त करने की कोशिश करें जिससे की पत्र की लय बने रहे।
- पत्र जब किसी विद्यालय के प्रधानाचार्या को लिखा जा रहा है तो हमें अपना नाम, कक्षा और दिनांक स्पष्ट करना चाहिए।
औपचारिक पत्र के प्रकार-
औपचारिक पत्र के विभिन्न प्रकार होते हैं जिसमे सभी संगठन, उद्योग, और अन्य कार्यालय के कार्य में उपयोग होते हैं।
औपचारिक पत्र के मुख्य तीन प्रकार होते हैं-
- प्रार्थना पत्र (Request/Petition Letter)-
प्रार्थना पत्र उन पत्रों को कहा जाता है जिनमें हम किसी से निवेदन, प्रार्थना करने हेतु पत्र लिखते हैं। जैसे की हमें अवकाश चाहिए, शिकायत सुधर, आवेदन करना जो तब हम प्रार्थना पत्र लिखते हैं।
- कार्यालयी पत्र (Official Letter)-
कार्यालय के कामों के लिए जो पत्र लिखा जाता है उन्हें हम कार्यालयी पत्र कहते हैं। इन पत्रों को हम ज्यादा तर सरकारी कामों में, सरकारी अफसरों को, अधिकारीयों को, स्कूल व् विद्यालयों को लिखते हैं।
- व्यवसायिक पत्र (Professional Letter)
व्यवसाय के कार्यों के लिए सामान खरीदने व बेचने अथवा रुपयों के लेन-देन के लिए जिन पत्रों का उपयोग किया जाता हैं उन्हें ‘व्यवसायिक-पत्र’ कहते हैं। इनमें दुकानदार, प्रकाशक, व्यापारी, कंपनी आदि को पत्र लिखे जाते हैं।
इन पत्रों का उपयोग बाहरी एवं आतंरिक संचारों के लिए किया जाता है। जिसके और प्रकार निचे दिए गए हैं।
- जाँच पत्र (Letter of Enquiry)
- आदेश पत्र (Letter of Order)
- अनुमति पत्र (Requisition Letter)
- शिकायत पत्र (Letter of Complaint)
- शिकायत पत्र का उत्तर (Reply to a Letter of Complaint)
- वसूली पत्र (Recovery Letter)
- पदोन्नति पत्र (Promotion Letter)
- बिक्री पत्र (Sales Letters)
औपचारिक पत्र के उदहारण-
- अपने विद्यालय में रक्तदान शिबिर का आयोजन करने हेतु प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रधानाचार्य जी,
स्वामी विवेकानंद मेडिकल कॉलेज, राजेंद्रनगर
बिहार – 231013
दिनांक – 25 सितंबर, 2015
विषय – विद्यालय में रक्तदान शिबिर आयोजित कराने संबंध में।
माननीय महोदय,
मैं आपके विद्यालय के कक्षा 12वी का छात्र हुँ, तथा विद्यालय के छात्र परिषद का सचिव भी हुँ। महोदय जी, इस वर्ष हम सभी छात्रों ने यह सोचा हैं की विद्यालय में रक्तदान शिबिर का आयोजन कराया जाए। इससे विद्यार्थियों में परोपकार तथा समाज सेवा की भावना विकसित होगी। साथ ही उनकी रक्तदान संबंधित भ्रांतियां भी दूर होंगी कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आ जाती है। रक्तदान शिबिर से संबंधित सारी व्यवस्थाओं के लिए हमें विद्यालय की ओर से सहयोग की आवश्यकता है। साथ ही इस आयोजन में विद्यालय की और अभिभावक संघ का सहयोग अपेक्षित है। आशा है की आप इस वर्ष हम सभी छात्रों को इस कार्य का आयोजन करने की अनुमति प्रदान करेंगे।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी छात्र
मोहित कुमार
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- अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को चुनौतीपूर्ण विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु निवेदन पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदया,
विद्यालय प्रबंध समिति
आस्था विद्यालय मंदिर
आनंदविहार, गुजरात।
दिनांक – 25 नवंबर, 2017
विषय – चुनौतीपूर्ण विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के संबंध में।
माननीय महोदया,
मैं इस विद्यालय की कक्षा 12वी की छात्रा हुँ और छात्र परिषद की सचिव भी हुँ। महोदया जी,आपसे निवेदन इस प्रकार है कि हमारे विद्यालय में सामान्य छात्रों के साथ कुछ शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण छात्र भी हैं जैसे कि कुछ हाथों से विकलांग हैं तो कुछ पैरों से विकलांग हैं। इन विद्यार्थियों के लिए कुछ विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए जिससे इनके कोई तकलीफ या असुविधा न हो। कक्षा में उनके बैंठने के लिए बेहतर जगह हो और उनके कक्षा निचे के मंज़िल में हो जिससे की उन्हें सीढ़ी न चढ़ना पड़े। और उनके खेलने के लिए भी विशेष उपकरण हो जिसे वे आसानी से खेल सके। ऐसा करने से वे खुद को दूसरों से अलग नहीं समझेंगे और उनका आत्म-बल बढ़ेगा। आशा है की आप मेरी इस बात पर ध्यान देंगे। यहा आग्रह मेरी और अन्य विद्यार्थियों की ओर से भी है।
धन्यवाद।
आपकी आज्ञाकारी शिष्या
अनिता
कक्षा 12वी।
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- आपके दीदी की शादी पर आपको अवकाश के लिए आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र लिखना है।
सेवा में,
प्रधानाचार्य मोहदय,
ए. बी.पि.एस. स्कूल,
रामनगर (चंद्रपुरा)
झारखण्ड – 701386
विषय – दीदी की शादी के लिए अवकाश प्रदान हेतु प्रार्थना पत्र।
माननीय महोदय,
आपसे सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय के कक्षा 11वीं का विद्यार्थी हूँ। अगले हफ्ते मेरे घर में मेरी दीदी की शादी है। जो दिनांक 10/09/2018 और 11/09/2018 निश्चित हुई है, मैं अपने पिता का इकलौता पुत्र हूँ, और शादी में बहुत से कार्यों में मेरा होना आवश्यक है। जिस कारण मुझे 08/09/2018 से 12/09/2018 तक का अवकाश चाहिए।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मुझे पांच दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें, जिसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहुँगा।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
नाम – स्वप्निल शर्मा
कक्षा – 11वीं
रोल नंबर – 25
दिनांक – 07 सितंबर, 2018
*******************
- बस में यात्रा करते हुए आपका बैग बस में ही छूट गया था जिसमें जरूरी कागज और रुपये थे जिसे बाद में बस कंडक्टर ने आपके घर आकर लौटा दिया। उनकी प्रशंसा करते हुए परिवहन निगम के अध्यक्ष को प्रशंसा पत्र लिखिए।
सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम,
नागपुर।
दिनांक- 25 अप्रैल, 2012
विषय – बस में छूटे बैग का वापस करने की प्रशंशा हेतु।
माननीय महोदय,
मैं कल दिनांक 24 अप्रैल, 2012 को अमरावती में कार्य समाप्त होने पर नागपुर के लिए अमरावती बस अड्डे से वातानुकूलित बस पकड़ी थी। यात्रा के पूर्ण होने के बाद मैं बस से उतर कर नागपुर चला गया और गलती से अपना एक बैग वहीँ छोड़ दिया था।
मैं उस समय बहुत खुश हुआ था जब तीन घंटे के बाद बस के कंडक्टर श्री रामेश्वर पाटिल मेरे घर का पता पूछ के मेरा बैग लेकर मेरे घर पहुंचे। मुझे यह ज्ञात ही नहीं था कि मेरा एक बैग बस में ही छूट गया था। इस बैग में मेरे बहुत जरूरी कागज, आधार कार्ड और कुछ रुपये थे। उस पर लिखे पते के कारण कंडक्टर श्री रामेश्वर पाटिल मेरे घर का पता ढूंढ पाए थे। मुझे कंडक्टर का यह व्यवहार बहुत ही प्रशंसनीय लगा। उनकी ईमानदारी से प्रभावित हो कर मैं उन्हें कुछ ईनाम देना चाहा परंतु उन्होंने अपना कर्तव्य कह के टाल दिए।
मैं चाहता हूँ कि ऐसे ईमानदार कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए जिससे दूसरे कर्मचारी भी ईमानदारी का पाठ सीख सकें। मैं कंडक्टर श्री रामेश्वर पाटिल का फिर से आभार व्यक्त करता हूँ।
धन्यवाद।
भवदीय
राजेश तुमराम।
38/5 भीमसेन कॉलोनी,
नागपुर।
दूरभाषा – xxxxxxxxxx
*******************
आपके नाम से प्रेषित एक हजार रुपये के मनीआर्डर की प्राप्ति न होने का शिकायत पत्र अधीक्षक पोस्ट आफिस को लिखिए।
सेवा में,
अधीक्षक महोदय,
मुख्य डाकघर, बुहरानपुर
दिनांक-25 अप्रैल, 2014
विषय- मनीआर्डर की प्राप्ति न होने पर कार्यवाही हेतु पत्र।
माननीय महोदय,
मैं बुहरानपुर का रहने वाला हूँ। मेरे घर से मेरे पिताजी ने दिनांक 3 अप्रैल, 2014 को एक हजार रुपये का मनीआर्डर (रसीद संख्या xxxx) किया था। परंतु अभी तक यह मनीआर्डर मुझे प्राप्त नहीं हुआ है। इस विषय पर मैंने अपने क्षेत्र के पोस्ट आफिस के स्टाफ से संपर्क किया। परंतु उनका कहना है कि उनको इसकी कोई जानकारी नहीं है। हमारा परिवार बहुत गरीब है और पिताजी मजदूरी मेहनत करके मुझे पैसे भेजते हैं।
अतः आपसे नम्र निवेदन है कि आप इस पर कुछ ठोस कदम उठाएं और मुझे मनीआर्डर वाले पैसे दिलवाएं। मुझे आप पर पूर्ण विश्वास है कि आप मेरी इस समस्या पर ध्यान देते हुए उचित कार्यवाही करेंगे। मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद।
भवदीय
रफ़ीक खान
47, अशपाक़ नगर
बुहरानपुर।
दूरभाषा – 98723xxxxxx
*******************
नेशनल बुक ट्रस्ट के प्रबंधक को पत्र लिखकर हिंदी में बालभारती के नविन प्रकाशित हुए पुस्तकें भेजने हेतु अनुरोध पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन,
क.ख.ग. (परीक्षा भवन का नाम)
दिनांक -25 मार्च, 2017
सेवा में,
प्रबंधक महोदय,
मुख्य डाकघर, नेशनल बुक ट्रस्ट
नई मुंबई।
विषय – पुस्तक मंगवाने हेतु प्रार्थना-पत्र।
माननीय महोदय,
हमने हमारे क्षेत्र में छोटे बच्चों के लिए एक सार्वजनिक पुस्तकालय की शुरुआत की है। जिसमें छोटी-छोटी कहानियों का संग्रह, नेताओं की जीवनी, रामायण व महाभारत संबंधित पुस्तकों का संकलन करना चाहते है। इसलिए कृपा कर आप मुझे निम्नलिखित पुस्तकें शीघ्र भिजवा दें। इस आर्डर के पुस्तकों की कीमत की राशि 2500 रुपये का बैंक ड्राफ्ट नं. xxxxx, दिनांक 25 मार्च, 2017 इस पत्र के साथ भेज रहा हूँ। पुस्तकें भेजते हुए पहले यह सुनिश्चित कर लीजियेगा कि पुस्तकें अंदर से या बाहर से कटी-फटी न हों और सभी पुस्तकों पर कवर लगा हुआ हो।
अतः आपसे अनुरोध है कि सारी पुस्तकें बच्चों के सार्वजनिक पुस्तकालय के लिए हैं तो हमारे द्वारा मंगाई गई सभी किताबों, पत्र-पत्रिकाओं पर जितनी हो सके उतनी छूट प्रदान करें।
आपसे विनम्र निवेदन है जितनी शीघ्र हो सके, निम्न पुस्तकों की 5-5 प्रतियाँ भिजवा दें –
1. पंचतन्त्र की कहानियाँ
2. अमन, प्रेम व आजादी
3. जंगल बुक
4. मन्दाकिनी
5. चन्द्रकान्ता
6. हितोपदेश
7. रामायण
8. महाभारत
9. चाचा चौधऱी की कहानियाँ
10. गुरु चाणक्य निति व् कहानियाँ
धन्यवाद।
सचिव, सार्वजनिक पुस्तकालय
मनीआर्डर भेजने का पता- एक्स.वाय.ज़ेड
प्रकाश मड़ावी
नई मुंबई।
*******************
स्वास्थय खराब होने के कारण 3 दिनों के अवकाश की प्रार्थना करते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजिव गाँधी पब्लिक स्कूल,
मांझी रोड , बिहार।
दिनांक – 25 अप्रैल, 2019
विषय : अवकाश प्राप्ति हेतु पत्र
आदरणीय महोदय,
मैं आपके विद्यालय में कक्षा 9वी का छात्र हूँ। महोदय, कल शाम से मुझे तेज बुखार और खाँसी हो रही है और मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा हैं। जिस कारण में अगले 3 दिनों तक स्कूल में अनुपस्थित रहूँगा। अत: मुझे 3 दिनों का अवकाश चाहिए।
अतः आपसे सविनय निवेदन है कि आप मुझे दिनांक 25 अप्रैल, 2019 से 27 अप्रैल, 2019 तक 3 दिनों का अवकाश प्रदान करने की कृपा कीजिए
धन्यवाद!
आपका आज्ञाकारी शिष्य
रविकांत वर्मा।
कक्षा 9वीं।
*******************
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