अनोपचारिक पत्र | Informal Letter in Hindi

Informal letter को हिंदी में लिखने से पहले हमें यह जानना होगा की Informal letter का मतलब क्या होता है। इसे हिंदी में क्या कहते है, और इसे कैसे लिखते हैं। इसके साथ ही हमें इस बात की भी जानकारी होना जरुरी है की Informal letter को कब, किसे और क्यों लिखा जाता है मतलब इसका कहाँ उपयोग होता है। 

आज के पोस्ट में हम आपको Informal letter के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे जिससे आपको इसके इस्तेमाल और इसके महत्त्व का पता चलेगा जिससे आप इसको नियमित रूप से उपयोग कर सकते है।

अनौपचारिक पत्र

Informal शब्द को हिंदी में ‘अनौपचारिक’ कहते है जिससे ‘पत्र’ शब्द जुड़ कर हिंदी में ‘अनौपचारिक पत्र’ बनता है जो की हम Informal letter को कहते है। इसे हम अंग्रेजी में Unofficial letter भी कह सकते है जिसका अर्थ है ‘बगैर Office के काम वाले letter’ जो हम किसी सामान्य स्थिति में सगे–संबंधों, मित्र-परिजनों को लिख सकते है।

ऐसा भी कह सकते हैं की हमें ऐसे पत्र लिखते समय ज्यादा कुछ सोच-विचार करने की या पत्र लिखने के नियमों को याद रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस पत्र को लिखने का तात्पर्य निजी या घरेलु प्रारूप होता है जो इस पत्र को अनौपचारिक बनाता है और इसे हम व्यक्तिगत पत्र के तौर पर भी उपयोग कर सकते हैं। 

अब कभी भी हमें किसी अपने, खास, सगे या पहचान वालों को पत्र लिखने को कहा जाए तो हमें पता चल जायगा की हमें अनौपचारिक पत्र लिखने को कहा गया है। 

अनौपचारिक पत्र के प्रकार | Types of Informal Letter

अनौपचारिक पत्र के कुछ प्रकार होते है जैसे हम अलग अलग कार्यों के लिए लोगों को पत्र लिखते है जिसका उद्देश्य भिन्न हो, उसके अनुसार अनौपचारिक पत्र के प्रकार निचे दिए गए हैं-

  1. बधाई पत्र (Greeting Letter)
  2. निमंत्रण पत्र (Invitation Letter)
  3. सांत्वना/शोक पत्र (Consolation/Condolencing Letter)
  4. किसी प्रकार की सलाह देने हेतु (To give any kind of advice)
  5. शुभकामना पत्र (Greeting Card)
  6. किसी प्रकार की जानकारी देने हेतु (To give any kind of information)
  7. विशेष अवसरों पर लिखे गये पत्र (Letters written on special Occasions)
  8. निवेदन पत्र (Requisition Letter)
  9. अनुमति पत्र (Permission Letter)
  10. क्षमायाचना एवं आश्वासन संबंधी पत्र (Apology Letter)

अनौपचारिक पत्र लिखने का तरीका | Informal Letter Format in Hindi

अनौपचारिक पत्र लिखने के लिए हमें कुछ नियमों का पालन करना होता है जिससे की पढ़ने वाले को भी पत्र पढ़ने में अच्छा लगे। 

  1. भेजने वाले का पता (Sender’s Address)
  2. दिनांक (Date)
  3. अभिवादन (Salutation)
  4. संदेश का मुख्य भाग (Message Body)
  5. समापन (Closing)
अनोपचारिक पत्र informal letter in hindi

अनौपचारिक पत्र का उदहारण

जानकारी पत्र– अपनी पढाई के संबंध में पिता को जानकारी देने हेतु पिता को पत्र

पानीपत चौक
तेलिग़ना रोड, सुंदरगढ़ 
उड़ीसा – 732490
21 फ़रवरी, 2018

पूज्य पिताजी,
सादर चरणस्पर्श। मुझे आपका प्यार-भरा पत्र प्राप्त हुआ। पत्र पढ़कर दिल खुश हो गया। माताजी के बेहतर स्वास्थ्य के बारे में जानकर बहुत प्रसन्नता हुई। 24 फ़रवरी से 8 मार्च तक काॅलेज में अवकाश रहने वाला है। बहुत दिनों के बाद हम सब पुनः एक साथ होंगे। इस बात की कल्पना करने से ही मैं रोमांचित हो जाती हूँ।

रहा प्रश्न मेरे विश्वविद्यालयी परीक्षा के तैयारी का, तो वह बहुत ही अच्छा चल रहा है। मैंने सारे पेपर भली-भाँति तैयार कर लिए हैं। पिछले टर्मिनल परीक्षा में मात्र दो नंबर के कारण में महाविद्यालय टाॅपर नहीं हो सका था। परंतु इस बार मैंने अपने परीक्षा की तैयारी जमकर कर ली है। जानते हैं पिताजी, इस बार के मासिक परीक्षा में तो मुझे हमारे प्रिंसिपल ने डबल स्टार दिए हैं। मेरे लिखे हुए उत्तर-पुस्तिका में कहीं भी लाल निशान नहीं है। अतः आप निश्चिंत रहें। इस बार आपका बेटा आप लोगों का और विश्वविद्यालय का नाम अवश्य रोशन करेगा।

शेष समाचार पूर्ववत् है इधर मेरे मित्र पवन चक्रवर्ती की माँ बहुत ज्यादा अस्वस्थ हो गई हैं। कभी-कभी तो वह  बहुत उदास हो जाया करता है। वह अपने माता के स्वास्थ्य को लेकर बहुत ही असमंजस में रहता है। मैं उसका पुर्णःताः ख्याल रख रहा हूँ।

आपके और माताजी के स्वास्थ्य की कामना करते हुए मैं इस पत्र को समाप्त करता हूँ। प्रणाम !

आपका लाडला बेटा

आयुष्यमान दुबे।

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ऊपर दिया गया पत्र अनौपचारिक पत्र का एक उदहारण है। जिसके माध्यम से हम आपको बताएंगे की अनौपचारिक पत्र लिखते समय किन बातों का हमें ध्यान रखना पड़ता है। इससे आपको Informal letter लिखने का format पता चलेगा जो आपको इस प्रकार के पत्र लिखने में सहायता होगी। इसे और भी सरल बनाने के लिए हम आपको point to point बताएंगे। 


चरण 1-

Sender‘s address का अर्थ होता है भेजने वाले का पता। जब आप किसी को पत्र लिखते है तब आपको इस स्थान पर अपना पता लिखना होता है जिससे की पत्र प्राप्त करने वाले को भेजने वाले का पता चल जाये। 

जैसे- 

पानीपत चौक 
तेलिग़ना रोड, सुंदरगढ़ 
उड़ीसा – 732490

चरण 2-

इस चरण में आपको पत्र लिखने की तिथ/ तारीख लिखना होता है जिससे की यह पता चलता है की पत्र कब लिखा गया है। तारीख को आप किसी भी format में लिख सकते हैं। 

जैसे-

21 फ़रवरी, 2018 ; 11/03/2020, इत्यादि। 

चरण 3-

इस चरण में हमें सामने वाले व्यक्ति का पत्र के शुरुवात में ‘अभिवादन’ करना होता है, जैसे हम किसी व्यक्ति से बातचीत करने से पूर्व उनका अभिवादन करते हैं। इसे हम अंग्रेजी में Salutation भी कहते हैं। इसे लिखने के अनेक तरीके होतें हैं,

जैसे-

पूज्य पिताजी/माताजी, (मेरे) प्रिय मित्र/भाई/बहन, प्रिय गुरूजी इत्यादि। अभिवादन के पूर्ण होते ही आपको कॉमा 
( , ) दिया जाता है। 

जैसे-
पूज्य पिताजी,
सादर चरणस्पर्श।

चरण 4-

इसके बाद आता है पत्र का मुख्य हिस्सा, संदेश का मुख्य भाग (Message Body)। इसमें हमें विस्तार से लिखना होता है की पत्र किसलिए लिखा जा रहा है और हम सामने वाले से क्या कहना चाहते है। इसमें हम अपने जरुरत अनुसार बात लिख सकते है। लेकिन आहार संक्षेप में जानकारी लिखे तो पत्र ज्यादा लम्बा और बड़ा नहीं लगेगा और उसका प्रभाव भी अच्छा रहेगा। इसलिए इस भाग में हमें महत्वपूर्ण बातों को सहजता से लिखना होता है। 

इसके शुरुवात में आप अपना और सामने वाले के हाल-चाल के बारे में पूछ सकते है। 

कोशिश कीजिये जी पत्र के message body को 3 para से ज्यादा न लिखे अन्यथा पत्र की महत्वता काम हो जायगी। ध्यान रहे की पत्र का उपयोग केवल सन्देश पहुंचाना होता है।

चरण 5-

अंत में आपको पत्र का समापन करते हुए सामने वाले प्राप्तकर्ता की सराहना कर के पत्र को समाप्त करना चाहिए। और अंत में अपने नाम से (पत्र लिखने वाला) पत्र को समाप्त करें। 

जैसे- 

तुम्हारा प्रिय मित्र; आपका विश्वासु; आपका शुभचिंतक; 
अमरकांत चतुर्वेदी। 

अनौपचारिक पत्र लिखनें से सम्बंधित महत्वपूर्ण बातें (Important Things Related To Writing Letters)

  • अनौपचारिक भाषा को लिखते समय हमें अपने भाषा को स्पष्ट और सरल रखना चाहिए। 
  • पत्र लिखते समय हमें पत्र को स्वछता से लिखना होता है, उसमे कोई काट-छांट नहीं होना चाहिए। 
  • पत्र में लिखी गयी बात का उल्लेखन पूर्ण रूप से होना चाहिए।
  • अनौपचारिक पत्र की शुरुआत और अंत प्रभावशाली रहनी चाहिए।
  • पत्र लेखन में लेख स्वच्छतापूर्ण होना चाहिए।
  • अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए |
  • अनौपचारिक पत्र लिखते समय हमें सामने वाले व्यक्ति की आयु, योग्यता, पद आदि का ध्यान रखना चाहिए|

अनौपचारिक पत्रोँ के उदहारण

धन्यवाद पत्र

आप वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान से उत्तीर्ण हुए हैं जिसके लिए आपके पिताजी में आपको पुरस्कार स्वरुप एक Laptop आपको भेजा है। आपको उन्हें धन्यवाद करने के लिए पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन – 48/150,
शशि विहार, जबलपुर,
मध्य प्रदेश – 482001
दिनांक: 25 मे, 2014
आदरणीय पिताजी,

सादर प्रणाम।
आशा करता हूँ की आप सभी कुशल मंगल होंगे। मैं भी आपके आशीर्वाद से यहाँ पर बिलकुल ठीक हूँ। आज मुझे आपका भेजा हुआ उपहार मिला। मुझे यह Laptop बहुत पसंद आया और आपके इस स्नेह से मेरा मन आनंद विभोर हो रहा है। इस उपहार के लिए मैं आपका आभार प्रकट करना चाहता हूँ.

बहुत समय से मैं सोच रहा था की आपको बताऊ की मुझे एक Laptop की ज़रूरत पड़ रही थी, लेकिन मैंने उम्मीद नहीं किया था की आपको पहले से ही मेरे इस ज़रूरत का आभास होगा| मैं यह Laptop पाकर बहुत खुश हूँ और आपसे वादा करता हूँ की जैसे इस परीक्षा मैंने अच्छे अंक प्राप्त कर प्रथम आया हूँ ऐसे ही आगे भी मेहनत करके आप लोगों का नाम रोशन करूँगा।

बहुत समय से मैं सोच रहा था की आपको बताऊ की मुझे एक Laptop की ज़रूरत पड़ रही थी, लेकिन मैंने उम्मीद नहीं किया था की आपको पहले से ही मेरे इस ज़रूरत का आभास होगा| मैं यह Laptop पाकर बहुत खुश हूँ और आपसे वादा करता हूँ की जैसे इस परीक्षा मैंने अच्छे अंक प्राप्त कर प्रथम आया हूँ ऐसे ही आगे भी मेहनत करके आप लोगों का नाम रोशन करूँगा।

घर के सभी बड़ों को मेरा प्रणाम और छोटों को मेरा प्यार दीजिएगा। इस अमूल्य उपहार और आपके प्यार के लिए आप सभी का एक बार फिर दिल से धन्यवाद।

आपका प्यारा पुत्र,
गुलशन कुमार। 

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जानकारी पत्र – 1

अपने छोटे भाई को उसके पढाई-लिखाई से संबंधित जानकारी हेतु पत्र लिखें। 

सरस्वती छात्रावास 
बी. एच्. यू. नगर,
वाराणसी – 221010
25 नवंबर, 2009

प्रिय अनुज,
प्रसन्न रहो। पिछले बार तुमने जो पत्र मुझे भेजा था वह मुझे समय पर मिल गया था, परन्तु उस समय अत्यंत व्यस्त रहने के कारण मैं तुम्हे उस पत्र का उत्तर न दे सका था। इधर मुझे पिताजी का भी एक पत्र प्राप्त हुआ जिसे पढ़ के मैं अत्यंत चिंतित हो गया हूँ। पिताजी को उनके एक सज्जन मित्र से पता चला की तुम आजकल पढाई में ज्यादा ध्यान न देकर अन्य मौज-मस्ती में, सिनेमा देखने में, पिकनिक तथा शतरंज खेलने में अपना कीमती समय बर्बाद कर रहे हो।

तुम जानते हो की हमारे पिताजी कड़ी मेहनत और अपना खून-पसीना एक करके हमारे लिए साधन एकत्र करते हैं। ऐसे में यदि उन्हें यह पता चले की उनका छोटा बेटा पढाई में ध्यान न देकर अपना समय बर्बाद कर रहा है तो उन्हें कितना बुरा लगेगा। सिनेमा देखना, मौज करना या शतरंज खेलना गलत नहीं है किन्तु यह समय उचित नहीं है और इनकी एक सिमा होती है। अगले महीने तुम्हारा वार्षिक परीक्षा है। मुझे विश्वास है की तुम मेरी बात को ध्यान में रखते हुए अपने पढाई पे ध्यान दोगे और अच्छे अंक से उत्तीर्ण होंगे।

मुझे इस पत्र का उत्तर देना। पिताजी को भी एक पत्र डाल देना।

तुम्हारा अग्रज
रमेश कुमार।

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जानकारी पत्र – 2

अपने मित्र को शिमला भ्रमण से सम्बंधित पत्र लिखे। 

कोटपूतली,
पावटा रोड, जयपुर,
राजस्थान – 303329
5 मई, 2015

प्रिय अनिकेत,
खुश रहो। बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला। तुम तो कभी-कभी ऐसे गायब हो जाते हो कि कुछ पता ही नहीं चलता की तुम धरती पे हो भी या नहीं। शायद तुम्हें याद होगा की पिछले वर्ष जब हम लोग सिक्किम घूमने गए थे तो यह तय हुआ था कि आने वाले ग्रीष्मावकाश में हम लोग शिमला घूमने चलेंगे। अब समय नजदीक आ गया है। अतः, पुनः कार्यक्रम बनाना चाहिए। साहिल का भी पत्र आया था। वह अपने एक मित्र के साथ शिमला भ्रमण की रूपरेखा बना रहा है। मैं शीघ्र ही वह कार्यक्रम तुम्हे भेजूँगा।

हाँ, इस बार का सारा खर्चा मैं ही करूँगा, इस बात की चिंता तुम मत करना। मेरी यह बात तुम्हे माननी ही पड़ेगी। यार, तुम मेरे इतने अच्छे मित्र हो कि मुझे विश्वास है कि मेरी बात को तुम कभी नहीं टालोगे। आशा है, तुम्हारा  गिटार का अभ्यास अच्छा चल रहा होगा। उसे भी साथ ले चलना। झीलों के किनारे बैठकर गिटार की धुन हमारे मनोरंजन में चार चाँद लगा देगी।

तुम्हारे पत्र-उत्तर का मुझे इंतजार रहेगा। 

तुम्हारा प्रिय मित्र,
मोहन पाठक। 

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बधाई पत्र

यू. पी. एस. सी. परीक्षा में शानदार सफलता के लिए अपने मित्र को बधाई-पत्र लिखिए। 

71 स्ट्रीट, वेस्ट टाउन,
बैंगलोर, कर्नाटक
17 अगस्त, 2017 

प्रिय मित्र,
सप्रेम वन्दे। दोस्त, मैं आशा करता हूँ की तुम अपने परिवार के साथ सकुशल और स्वस्थ होंगे। यार, तुम अपने जीवन शैली में इतने मग्न रहते हो की तुम्हे अपनी खुशखबरी भी सुनाने की फुर्सत नहीं रहती है। 

इसे संयोग समझो की पिछले दिनों में अखबार पढ़ते तुम्हारी तस्वीर और इंटरव्यू मैंने देखा तो पता चला की तुम न केवल यू. पी. एस. सी. की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हो बल्कि पुरे भारत में 5वा स्थान प्राप्त किए हो। मैं तो इतना खुश हुआ की अखबार लिए ही अपने माता-पिता  पहुंचा और तुम्हारे इंटरव्यू को पढ़ के सुनाने लगा। दोस्त, तुम्हारे इस शानदार सफलता के लिए तुम्हे मेरी और मेरे परिवार के तरफ से बहुत-बहुत बधाई हो। भगवन से मेरी विनंती है कि तुम इसी तरह दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करते रहो। माता जी कह रही थी की अब तूम हमें भूल जाओगे, मैंने उन्हें समझाया की मेरा दोस्त ऐसा नहीं है और ऐसा कभी करेगा भी नहीं। चाचा-चची को मेरा सादर नमन बोलना और छोटी को शुभ प्यार देना। 

और बाकि सब ठीक है यहाँ। एक बार फिर से मेरे यार को उसके इस तरक्की की ढेर साड़ी शुभकामनाएं। 

तुम्हारा प्रिय मित्र,
अरविंद कुमार।

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शोक पत्र

मित्र की माताजी के देहांत पर उसे शोक-पत्र लिखिए। 

आनंद अपार्टमेंट- ब्लॉक 02 
क्वार्टर नं. 275 
मीरा रोड, कोलकाता – 201299 
26 जून, 2019 

प्रिय मेघनाथ,
नमस्ते। आज दोपहर को ही तेरा शोक-भरा पत्र प्राप्त हुआ। माताजी के देहाँत की ख़बर पढ़कर मैं एकदम सन्न रह गया। उनकी अस्वस्थता से मैं अवगत था, किन्तु इतनी जल्दी वे हम लोगों को छोड़ जाएँगी, ऐसा कभी नहीं सोचा था। जब मेरी माताजी को इस बात का पता चला तो वो भी बहुत रोयी।

मेरे यार, तू अपने आप को और परिवार को संभलन। भला होनी को कौन टाल सकता है? इस दुःख घड़ी में तुम धैर्य न खोना; क्योंकि ऐसे समय ही इन्सान की असली परीक्षा होती हैं। नियति के इस दंड को हमें स्वीकारना होगा। यह तो प्रकृति का नियम ही है। देखों, गोस्वामीजी ने रामचरितमानस में भी लिखा है

‘‘आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक, फकीर।
एक सिंहासन चढ़ी चले, एक बँधै जंजीर।।’’

मेरे दोस्त, आदि और अंत सब कुछ भाग्य के हाथ हैं। तुम इस सच्चाई को समझो और कलेजे पर पत्थर रख अपने कामों में लगों। ईश्वर करें, माताजी की दिवंगत आत्मा को चिरशांति मिले। विपत्ति की इस घड़ी में मैं स्वयं आकर तुम्हारा दुःख बाटूँगा। कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को शिग्र ही निपटा के मैं अगले सप्ताह आ रहा हूँ। शेष मिलने पर। अपना ख्याल रखना। 

तुम्हारा मित्र,
संजीव सोलंकी।

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